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“काश मैं नबी का ज़माना पाता” कहना कैसा है ?

क्या एक मुसलमान के लिए वैध है कि वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुबारक समय में होने की तमन्ना करे? ऐसा ही तमन्ना एक उर्दू कवि नबवी युग में होने की करता है और कविता में अपनी दिली भावनाओं को व्यक्त करता है जिसकी पहला दो पंक्तियाँ इस तरह हैं: काश […]