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अप्रिल फूल एक सामाजिक बुराई

अल्लामा इक़बाल ने कहा थाः उठा कर फेंक दो बाहर गली में  नई तहज़ीब के अण्डे हैं गंदे नवीन संसकृति के इन गंदे अण्डों पर गर्व करने और पश्चिम की बिना सोचे समझे नक्क़ाली की  जिज्ञासा ने हमारे समाज में विभिन्न बुराईयों को जन्म दिया है जिनकी एक समय पहले कल्पना भी नहीं की जा सकती […]

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हुद-हुद पक्षी और सबा की रानी

संदेष्टा सुलैमान अलैहिस्सलाम की सेना में इंसानों और जिन्नात के अतिरिक्त पशु पक्षी भी थे। सुलैमान अलैहिस्सलाम अपनी सेना को अपने अधीन रखते और हर एक की स्थिति से पूर्ण रूप में सूचित रहते थे जो एक अनुभवी नायक की पहचान है। एक दिन हुद-हुद नामक एक पक्षी ग़ाइब पाया गया, पूछाः क्या बात है […]

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“काश मैं नबी का ज़माना पाता” कहना कैसा है ?

क्या एक मुसलमान के लिए वैध है कि वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुबारक समय में होने की तमन्ना करे? ऐसा ही तमन्ना एक उर्दू कवि नबवी युग में होने की करता है और कविता में अपनी दिली भावनाओं को व्यक्त करता है जिसकी पहला दो पंक्तियाँ इस तरह हैं: काश […]

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हमारी असल बीमारी क्या है ?

हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमारी भलाई के बहुत इच्छुक रहते थे, उन्हें दिन-रात यही चिंता सिता रही होती कि कैसे हमारी उम्मत दुनिया और आख़िरत में कामयाब हो जाए, इसी लिए जब वह्य उतरती और कोई मामला परेशानकुन होता तो उसी समय मिम्बर पर चढ़ते और सहाबा को संबोधित करते हुए हालात […]

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इस्लाम की विशेषताएँ

1. इस्लाम ने मदिरा (शराब) को हर प्रकार के पापों की जननी कहा है। अतः इस्लाम में केवल नैतिकता के आधार पर मदिरापान निषेध नहीं है बल्कि घोर दंडनीय अपराध भी है। अर्थात् कोड़े की सजा। इस्लाम में सिद्वांततः ताड़ी, भांग, गांजा आदि सभी मादक वस्तुएँ निषिद्ध (हराम) हैं। 2. ज़कात अर्थात् अनिवार्य दान। यह […]

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माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करें

वह इंसान जो हम सब के वजूद का माध्यम बने, जो मामूली पानी के एक बूंद से लेकर जवान होने तक हमारा ध्यान रखा, वह हमारे माता पिता हैं, वह माँ जो नौ महीने तक हमें अपने पेट में रखी, जन्म देने का कष्ट सहन किया, दूध पिलाने की परेशानियां झेली, हमारे लिए अपने आराम […]

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अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस

आज अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस है, प्रेस को मानव जीवन के उत्थान और पतन में बड़ा महत्व प्राप्त है। किसी भी देश में परिवर्तन लाने में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह प्रेस है जो ज़ुल्म के ख़ेलाफ आवाज़ उठाता है, यह प्रेस है जो दुनिया की परिस्थितियों से लोगों को अवगत कराता है, यह प्रेस […]

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अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस और इस्लाम

आज मई की प्रथम तिथि है, पहली मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है, मई का महीना आते ही मजदूरों के अधिकारों और कर्तव्यों की बातें होने लगती हैं, वे मजदूर जिनके परिश्रम से दुनिया में रंगीनियां हैं, वे मजदूर जिनके सहारे हम ऐश और इशरत की जींदगी गुज़ार रहे हैं, […]

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चार कलिमात का महत्व

“सुब्हानल्लाह, वल-हम्दुलिल्लाह, व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अक्बर” 1- यह चार कलिमात अल्लाह की नज़र में सब से प्यारे  हैं। (सही मुस्लिमः 2137) 2- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नज़र में दुनिया और उसकी सारी चीज़ों से बिहतर हैं। (सही मुस्लिमः 2695) 3- 100 बार सुब्हानल्लाह कहना 100 ग़ुलाम आज़ाद करने के […]

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फेसबुक पर कभी आपने ऐसे भी विचार किया है ?

फेसबुक अंग्रेजी के दो शब्दों से बना हुआ है: 1- face (चेहरा) 2- book (पुस्तक) पहला शब्द face यानी चेहरा, यहाँ आप अल्लाह के इस कथन को याद कूीजिए: “उस दिन कुछ चेहरे उज्ज्वल होंगे और कुछ चेहरे काले होंगे।” (सूर: आले इमरान:106) जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे महा प्रलय के दिन वही लोग सफल होंगे, […]