हम इस्लाम की सेवा कैसे करें ? यह ऐसा वाक्य है जिसका दिल पर बहुत गहरा असर पड़ता है और नफ्स पर उसका प्रभाव बड़ा दृढ़ होता है। जी हाँ दीने इस्लाम की सेवा करना बहुत बड़ी अमानत है और इंसानी वजूद का मक़सद भी, हर उस व्यक्ति के लिए जिसने अल्लाह को रब माना है इस्लाम को दीन स्वाकार किया है और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम को नबी माना है।

जन्नत अल्लाह तआला का बहुमूल्य उपहार है जिसे इच्छाओं और तमन्नाओं से पाया नहीं जा सकता बल्कि इसके रास्ते में बहुत क़ुर्बानियाँ देने की ज़रूरत है। अल्लाह ने अपने बन्दों में से जिसे चाहा इस दीन की सेवा, उसकी सहायता, उसके देफा और उसकी ओर दावत की तौफीक़ प्रदान की  और दूसरे कितने लोगों को उनकी अपनी कोताही, कमज़ोरी और बुज़दिली की वजह से इस भलाई से महरूम रखा।

इस्लाम की सेवा करना इतना बड़ा सम्मान है कि इस से बढ़ कर कोई सम्मान नहीं हो सकता। इस दीन की सेवा बुलंदी और इज़्ज़त की निशानी है। इस्लाम की सेवा उलमा तक सीमित नहीं और धनवानों तक सीमित है बल्कि यह हर मुसलमान मर्द और औरत के लिए खुला हुआ दरवाज़ा है।

दीन की सेवा के कुछ महत्वपूर्ण लाभ यह हैं

1.सवाबः दीन की सेवा का सब से पहले कल क़यामत के दिन हमें बदला मिलने वाला है। अल्लाह तआला ने फरमाया:

فَمَن يَعْمَلْ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ خَيْرًا يَرَهُ   سورة الزلزلة (7 

 जिसने ज़रा बराबर नेकी की होगी उसे देख लेगा।” (सूरः लिलज़ाल7)

  1. तौफीक़ और सही रास्ते की ओर मार्गदर्शनः अल्लाह ने फरमायाः

وَالَّذِينَ جَاهَدُوا فِينَا لَنَهْدِيَنَّهُمْ سُبُلَنَا ۚ وَإِنَّ اللَّـهَ لَمَعَ الْمُحْسِنِينَ   سورة العنكبوت 69

“वे लोग जिन्होंने हमारे मार्ग में मिलकर प्रयास किया, हम उन्हें अवश्य अपना मार्ग दिखाएँगे। निस्संदेह अल्लाह सुकर्मियों के साथ है।” (सूरः अनकबूत 69)

  1. संतान की सुरक्षाः अल्लाह ने कहाः

وَلْيَخْشَ الَّذِينَ لَوْ تَرَكُوا مِنْ خَلْفِهِمْ ذُرِّيَّةً ضِعَافًا خَافُوا عَلَيْهِمْ فَلْيَتَّقُوا اللَّـهَ وَلْيَقُولُوا قَوْلًا سَدِيدًا سورة النساء: 9

“और लोगों को डरना चाहिए कि यदि वे स्वयं अपने पीछे अपने निर्बल बच्चे छोड़ते तो उन्हें उन बच्चों के विषय में कितना भय होता। तो फिर उन्हें अल्लाह से डरना चाहिए और ठीक सीधी बात कहनी चाहिए।” (सूरः निसा 9)

  1. मुसलमानों की संख्या में अधिकताः धरती में बिगाड़ फैल चुका है और बुराई के चाहने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जब दावत का काम होगा तो अच्छाइओं के चाहने वालों की संख्या बढ़ेगी और मुसलमान ज्यादा होंगे।
  2. बिगाड़ में कमी आएगी और बिगाड़ पैदा करने वालों का सफाया होगा।
  3. इस्लाम के विजय से उम्मत की इज़्ज़त और सम्मान की बहाली होगी।

आपकी छाप कहाँ है ?

धरती पर चलने वाला हर व्यक्ति धरती पर अपनी चाल की छाप छोड़ता है, अच्छे लोग अच्छी छाप छोड़ते हैं और बुरे लोग बुरी छाप छोड़ते हैं। इस्लाम के सुरमाओं और विद्वानों ने इस दीन की सेवा में अपना पूरा जीवन खपा दिया, अतः अल्लाह ने अनके द्वारा इस्लाम और मुसलमानों को लाभ पहुंचाया। उन से जो बन सका दीन के लिए किया अब आप बताएं कि आपने अपने दीन के लिए क्या किया है ?

इस्लाम की सेवा करने के विभिन्न तरीक़े हैः

  1. हर वह दीनी काम जिसे आप देखते हैं या सुनते हैं उसे फैलाएं और दूसरों को उस से सूचित करें, आपको करने वाले के बराबर सवाब मिलेगा। चाहे उसे किसी सभा में बयान करें, स्कूल और कालिज में आम करें या एलेक्ट्रानिक और प्रिंट मेडिया के माध्यम से फैलायें।
  2. किसी आलीम किसी दाई या किसी मुसलमान की गीबत का दिफा करें और उसकी खूबियाँ और अच्छाइयां बयान करें। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम ने फरमायाः

 مَن ردَّ عن عِرضِ أخيه ردَّ اللهُ عن وجهِه النَّارَ يومَ القيامةِ  ( سنن الترمذي: 1931 

जिसने अपने भाई से उसकी ग़ीबत का देफा किया अल्लाह तआला उस के चेहरे से जहन्नम की आग को दूर करेगा।   ( मुस्नद अहमद)

  1. इस्लाम की महानता और उसके सौंदर्य को बयान करें और उससे संबन्धित संदेहों का निवारण करें।

 

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