नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जिस व्यक्ति का वुजू टूट जाए जब तक वह वुज़ू न कर ले अल्लाह उसकी नमाज़ क़ुबूल नहीं करता।”

मुस्लिम विद्वान इस बात पर सहमत हैं कि नमाज़ के सही होने के लिए पवित्रता अनिवार्य है। एक मुसलमान के लिए अनिवार्य है कि नमाज़ शुरू करने से पहले यह यक़ीन प्राप्त कर ले कि उसके कपड़े और शरीर गंदगी से पवित्र हैं। अगर कोई पेशाब और पाखाना करता है तो उसके लिए ज़रूरी है कि इस्तिंजा करे अर्थात् पेशाब पाख़ाना के रास्ते को पानी से धोए या टिशू पेपर से पोंछ ले, परन्तु पानी का उपयोग उत्तम है। हाँ! हवा निकलने से इस्तिंजा करने की ज़रूरत नहीं।

वुज़ू का तरीक़ा :

वुज़ू का सही तरीक़ा जैसे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित है।

पहलाः नियत करें, और नियत का स्थान दिल है जैसा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें बताया है। फिर कहें “बिस्मिल्लाह”।

दूसराः दोनों हाथ हथेली तक तीन बार धोयें और उंगलियों का ख़िलाल भी करें।

तीसराः तीन बार कुल्ली करें।

चौथाः नाक में पानी डालें और ऊंगली से नाक को साफ करें।

पांचवां: चेहरा माथे से ठोड़ी तक और दायें कान से बायें कान तक तीन बार धो लें। और दाढ़ी के बाल का ख़िलाल भी करें।

छठा: दोनों हाथ कोहनी तक तीन बार धोएं, पहले दाहिना फिर बायाँ।

सातवां: सिर का मसह करें इस प्रकार कि अपनी भीगी हथेलियाँ माथे पर रखें, उनसे सिर को गुद्दी तक पोंछें फिर दोनों हाथ लौटा कर माथे तक ले आयें।

आठवां: दोनों कानों का मसह करें कि शहादत की दोनों उंगली से आंतरिक भाग का मसह करें और अंगूठे की दोनों उंगलियों से ज़ाहिरी भाग का मसह करें।

नौवां: दोनों पैरों को टखने सहित तीन बार धो लें पहले दायाँ पैर फिर बायाँ पैर, यह सुनिश्चित कर लें कि पैर की उंगलियों और पैरों के अन्य हिस्सों के बीच पानी पहुंच गया है।

वुज़ू से फारिग़ होने के बाद सुन्नत है कि यह दुआ पढ़ी जाएः

अश्हदु अल्लाइलाह इल्लल्लाहु व अश्हदु अन्न मुहम्मन अब्दुहू व रसूलुहू।

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