आज विश्व शान्ति दिवस है। सम्पूर्ण विश्व में शान्ति का वातावरण बनाये रखने कर चर्चा हो रही है, सारी सृष्टि अम्न और शान्ति की गुहार लागा रही है। लेकिन इतिहास की कितनी बड़ी विडम्बना है कि जिनके हाथ खून से रंगे हुए हैं वही आज शान्ति के प्रचारक बने हुए हैं और जिन्हों ने मानवता बल्कि सृष्टि के हित के लिए काम किया उनका सम्बन्ध आतंक से जोड़ा जा रहा है और इतिहास को तोड़ मड़ोर कर उन्हें खलनायक सिद्ध किया जा रहा है। देखिए कैसे नम्बर बोलते हैं:
प्रथम विश्व युद्ध में दो करोड़ आदमी मारे गए और दो करोड़ घायल हुए।
द्वितीय विश्व युद्ध में छ करोड़ मनुष्य युद्ध और दो करोड़ बीमारियों और भूख से मारे गए।
सलीबी धर्मयुद्ध में लगभग ढाई करोड़ मनुष्यों की हत्या की गई।
महान सिकंदर, जो ग्रीस का ईसाई शासक था उसने लगभग दस लाख से अधिक मनुष्यों की हत्या की।
चंगेज खां कोई मुसलमान नहीं था जिसने चार करोड़ इंसानों का नरसंहार किया।
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराने वाला कोई मुसलमान नहीं था जिसके परिणाम में 88 हजार लोग मारे गए और सत्तर हजार लोग घायल हुए।
स्टालिन कोई मुसलमान नहीं था जिसके शासनकाल में 6 करोड़ लोगों को मार डाला गया।
लेनिन कोई मुसलमान नहीं था जिसके शासनकाल में दो करोड़ इंसानों का नरसंहार किया गया।
नेपोलियन कोई मुसलमान नहीं था जिसके शासनकाल में पचास लाख लोग मारे गए।
बोसीनिया में ईसाइयों ने एक लाख मुसलमानों को मार डाला, दो लाख को निर्वासित और बीस हजार से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार किया।
इन दिनों इस्राएल को देखें जो अपने वजूद में आने से अब तक 51 लाख फिलिस्तीनियों को शहीद कर चुका है, शाम में बशश्शार को देखें जो अब तक पांच लाख मुसलमानों को शहीद कर चुका है।
जबकि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दस वर्षीय मदनी जीवन में पेश आने वाले सात प्रसिद्ध युद्ध में दुश्मनों के मृतकों की संख्या 286 थी। फिर भी आरोप लगाया जाता है कि इस्लाम तलवार के ज़ोर से फैला।
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