वह कौन से ऐसे संसाधन हैं जिन्हें अपना कर हम अपने चरित्र में बदलाव ला सकते हैं ? इस संबंध में हम कुछ सुझाव आपकी सेवा में पेश कर रहे हैं:
आदतों में परिवर्तन की आवश्यकता का अनुभव पैदा करें:
सबसे पहले हम यह स्वीकार करें कि वास्तव में हमारी कुछ आदतें सुधार योग्य हैं, जिसका हम पर या हम से संबंधित लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जब तक हमारे अंदर यह अनुभव पैदा नहीं होगा तब तक किसी भी मामले में सुधार संभव नहीं। उसी तरह उन कारणों और प्रेरणाओं का भी एहसास होना चाहिए जो इस बुरी आदत का सबब हैं।
उन आदतों को लिख लें जिन में बदलाव लाना चाहते हैं:
किसी भी आदत में बदलाव के लिए मात्र उसे ज़बान से बोलना काफी नहीं बल्कि उसे लिख लेना आवश्यक है, क्योंकि यह तरीका मस्तिष्क में परिवर्तन की कल्पना पैदा करने में अति प्रोत्साहित साबित होता है। जो अनुचित आदतें आपके अंदर पाई जाती हैं उनकी एक सूची बना लें, और महत्व की दृष्टि से उन्हें तर्तीब दें, उन में से पहली आदत को किसी कार्ड पर लिख लें। उदाहरण-स्वरूप अगर आप बहुत जल्द क्रोधित हो जाते हैं तो लिखें: “ग़ुस्सा मत करो”, और उसे अपने कार्यालय के टेबल पर या घर में किसी विशेष स्थान या अपने पर्स के ऊपरी क्षेत्र में रख लें, जहां बार बार आपकी निगाह जाती है, ऐसा करने से स्वयं आपके अंदर सहनशीतला पैदा होगी और आप के लिए क्रोध पर काबू पाना आसान हो जाएगा। बिल्कुल ऐसा ही उपाय दूसरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए भी अपनायें।
परिश्रम के लिए पूरे तौर पर तैयार रहें:
व्यावहारिक प्रशिक्षण और परिश्रम के लिए भी हम पूरे तौर पर तैयार हों। इस आदत से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए। और इसके लिए लाभदायक होगा कि अच्छी आदत के लाभ और बरी आदत की हानि पर हम ग़ौर करें क्यों जब हम बुरी आदत के नुकसान और अच्छी आदत के लाभ पर विचार करेंगे तो आसानी से अच्छी आदत को अपनाने और बुरी आदत से छुटकारा पाने का साहस पैदा हो सकता है।
अल्लाह से दुआ करें:
हम अल्लाह से दुआ करें कि ऐ अल्लाह तू हमें अच्छे चरित्र का बना और बुरे चरित्र से दूर रख। और हमारे लिए प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र जीवनी आदर्श है जो अल्लाह से अच्छे अख़लाक़ की दुआ करते और बुरे बुरे अख़लाक़ से अल्लाह की पनाह मांगते थे, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दुआओं में से यह दुआ भी है कि
واهدِني لأحسنِ الأخلاقِ لا يهدي لأحسنِها إلا أنت واصرِفْ عني سيِّئَها لا يصرفُ عني سيِّئَها إلا أنت صحيح مسلم: 771
ऐ अल्लाह! तू हमें अच्छे चरित्र का निर्देश दे, तेरे अलावा कोई नहीं जो अच्छे चरित्र का निर्देश दे सके, और हमारे अंदर से बुरे चरित्र को दूर कर दे, तेरे अलावा कोई नहीं जो हम से बुरे चरित्र को दूर कर सके।
यह सबसे अच्छा इलाज है, यदि अल्लाह से मदद मांगी तो अल्लाह जरूर मदद करेगा, वह हमें जानता है और हमारी जान से भी ज्यादा हम पर दया करने वाला है।
दुआ करें कि ऐ अल्लाह हमारे अंदर गुस्सा पाया जाता है, क्रोध पर काबू पाने की ताक़त प्रदान कर और हमारे अंदर सहनशीलता पैदा कर दे, हे अल्लाह हमारी ज़ुबान बहुत तेज़ है, हमारी बात से दूसरों को तकलीफ पहुंच जाती है, उस पर काबू पाने की तौफीक अता फरमा, या अल्लाह हमें भलाई का स्रोत बना दे, और बुराई से दूर रख।
बुरी संगत से दूर रहें:
ऐसे लोगों की सोहबत से बिल्कुल दूरी अपनायें जो आपके सामने बुराई को सुन्दर बनाकर पेश करते हों, सच्चाई यह है कि संगत का एक मनुष्य के जीवन पर बड़ा गहरा असर पड़ता है, मनुष्य अक्सर नकल करने का आदी होता है इसलिए नेक और पवित्र स्वभाव के लोगों की संगत अपनायें, धीरे धीरे उनके गुण भी आपके अंदर सरायत कर जाएंगे, जो सहनशील व्यक्ति की संगत अपनाएगा उसके अंदर सहनशीलता अवश्य पैदा होगी, जो अल्लाह के रास्ते में खर्च करने वालों की संगत अपनायगा उसके अंदर दानशीलता अवश्य पैदा होगी, और जो अन्याय करने वालों की संगत अपनाएगा उसके लिए दूसरों पर अत्याचार करना बहुत आसान हो जाएगा।
सुधार योग्य आदतों पर शरीयत के दर्पण में विचार करें:
आपके अंदर जो आदतों सुधार योग्य हैं, उन पर शरीयत की के दर्पण में विचार करें और देखें कि इस संबंध में इस्लामी शिक्षायें क्या हैं, जैसे अगर आपके अंदर ज्यादा बोलने की बीमारी है, या आप बहुत जल्द गुस्सा हो जाते हैं, आप घमंड की बीमारी से पीड़ित हैं तो उसके संबंध में इस्लामी शिक्षाओं को सामने रखें, प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र जीवनी को अपना आदर्श बनाएँ, सीरत की किताबों और अल्लाह वालों की पवित्र जीवनी का अध्ययन करें, स्वतः आपके अंदर से गलत आदतें दूर होती जाएंगी।
अच्छे चरित्र पर स्वयं को विवश करें यधपि न चाहते हुए क्यों न हो:
यहां तक कि धीरे धीरे वही नैतिकता आपकी आदत बन जाय, उदाहरण-स्वरुप ऐसा व्यक्ति जो हमेशा बकवास करता रहता है न चाहते हुए भी चुप रहने की कोशिश करे और बात करने के बाद अपनी बात पर विचार करे कि आखिर इससे क्या फायदा हुआ? यहां तक कि अच्छी बात करने की आदत बन जाए।
हज़रत अबु बकर सिद्दीक रज़ियल्लाहु अन्हु के बारे में आता है कि वह अपने मुंह में कनकरियां रख लिया करते थे ताकि बोलने में परेशानी न हो।
एक व्यक्ति ने उमर बिन अब्दुल अजीज रहिमहुल्लाह से पूछा कि मैं कब बात करूँ? आपने कहा कि जब चुप रहने की इच्छा करे, उसने पूछाः कब चुप रहूँ? तो आपने फरमाया: जब बात करने का मन चाहे, अर्थात् जब बात करने का मन चाहे तो चुप रहो और जब चुप रहने का दिल करे तो बात करो।
यह निजी प्रशिक्षण का एक अच्छा तरीक़ा और उपाय है, इस सिलसिले में इमाम गिज़ाली रहिमहुल्लाह कहते हैं:
ऐसे कार्यों पर खुद को तैयार करना जिसकी आवश्यक नैतिकता मांग कर रही हो, जैसे अगर कोई व्यक्ति अपने अंदर दानशीलता लाना चाहता है तो इसका तरीका यह है अपने नफ्स को दबा कर धन खर्च करने की कोशिश करे, अधपि अस्थायी रूप में न चाहते हुए भी ख़र्च करना पड़े यहां तक कि माल ख़र्च करना उसके लिए आसान हो जाए और वह दानशील बन जाए। उसी तरह अगर कोई अपने अंदर विनम्रता पैदा करना चाहता है तो इसका तरीका यह है कि विनम्र स्वभाव रखने वालों की जीवनी पर एक अवधि तक नज़र रखे, इस बीच अपने नफ्स को दबाए और रियाज़त करे यहां तक कि विनम्रता उसकी आदत बन जाए, इस विधि से हर अच्छे आचार और शिष्टाचार अपनाए जा सकते हैं।
बुरा चरित्र रखने वालों की स्थिति की समीक्षा करें:
अपने दोष को दूर करने का एक अच्छा तरीका यह भी है कि बुरे चरित्र के लोगों की स्थिति की समीक्षा करें, आप देखेंगे कि बहुत सारे ऐसे कार्य और व्यवहार उन से हो रहे रहे हैं जो नैतिकता के तराज़ू पर बड़े ही घटया हैं, इस तरह आप उन्हें अपने आप को बचालें।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से कहा गया कि आपको किसने शिष्टाचार सिखाया? उन्होंने जवाब दिया: मैं ने अज्ञानियों की अज्ञानता को दोष समझा और उस से अपने आप को बचा लिया।
लुक़मान हकीम से भी किसी ने पूछा कि आपने शिष्टाचार किस से सीखी? उन्होंने जवाब दियाः जाहिलों से, अभिप्राय यह था कि मैंने जाहिलों की कोताहियां और बे ढ़ंगियां देखीं और उन से अपने आप को दूर रखता गया, इस तरह हमारे अंदर से बुरे चरित्र दूर होते गए।
अच्छा चरित्र रखने वालों के पारलौकिक परिणाम पर विचार करें:
अंतिम और सबसे मुख्य साधन है कि हम अच्छा चरित्र रखने वालों के पारलौकिक परिणाम पर विचार करें और उनके लिए स्वर्ग में जो नेमतें तैयार की गई हैं, उन पर विचार करें और बुरा चरित्र रखने वालों के लिए जो सज़ाएं तै की गई हैं उन्हें भी सामने रखें।
सूरः आले इमरान की इस आयत पर विचार कीजिए कि किस प्रकार अल्लाह तआला ने अच्छे चरित्र की बदौलत स्वर्ग का वादा किया है, अल्लाह कहता है:
وَسَارِعُوا إِلَىٰ مَغْفِرَةٍ مِّن رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا السَّمَاوَاتُ وَالْأَرْضُ أُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِينَ سورہ آل عمران 133
“और अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर बढ़ो, जिसका विस्तार आकाशों और धरती जैसा है। वह उन लोगों के लिए तैयार है जो डर रखते है”। (सूरः आले इमरान 133)
उन डर रखने वालों की विषेशतायें क्या हैं
الَّذِينَ يُنفِقُونَ فِي السَّرَّاءِ وَالضَّرَّاءِ وَالْكَاظِمِينَ الْغَيْظَ وَالْعَافِينَ عَنِ النَّاسِ ۗ وَاللَّـهُ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ سورہ آل عمران 134
वे लोग जो ख़ुशहाली और तंगी की प्रत्येक अवस्था में ख़र्च करते रहते है और क्रोध को रोकते है और लोगों को क्षमा करते है – और अल्लाह को भी ऐसे लोग प्रिय है, जो अच्छे से अच्छा कर्म करते है (सूरः आले इमरान 134)
प्रिय पाठक! ये हैं वे कुछ उपाय जिनको अपनाकर हम अपनी नैतिक प्रशिक्षण कर सकते हैं। अपने बुरे चरित्र को बदल सकते हैं। अल्लाह सर्वशक्तिमान से दुआ है कि वह हमें इसकी तौफ़ीक़ प्रदान करे। आमीन
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