अल्लाह के संदेष्टाओं में से एक संदेष्टा सुलैमान अलै. थे, अल्लाह ने चमत्कार के रूप में जिन्नात, इंसानों और पशु पक्षियों को उनके अधीन कर रखा था, वह पक्षियों की बोलियाँ भी समझ लेते थे। एक दिन की बात है, इंसानों जिन्नातों तथा पशु पक्षियों पर सम्मिलित सुलैमान अलै. की सेना एकत्र थी और पूरी सफबंदी के साथ जा रही थी। चलते हुए उनका गुज़र चींटियों की घाटी से हुआ, सारी चींटियाँ अपनी अपनी ज़िम्मेदारी में लगी थीं, मात्र एक चींटी सुलैमान अलै. की सेना को देख रही थीं, चींटी सुलैमान अलै. और उनकी सेना से पूरे तौर पर अवगत थी, जब सेना चींटियों के घरों के निकट हुई तो चींटी समुदाय को ज़ोर ज़ोर से आवाज़ लगा कर पुकारने लगी कि सुलैमान अलै. की सेना क़रीब हैः

يَا أَيُّهَا النَّمْلُ ٱدْخُلُوا مَسَاكِنَكُمْ لاَ يَحْطِمَنَّكُمْ سُلَيْمَانُ وَجُنُودُهُ وَهُمْ لاَ يَشْعُرُونَ  سورة النمل :18

 “ऐ चींटियों! अपने घरों में प्रवेश कर जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न डालें और उन्हें एहसास भी न हो।” (सूरः अन्नमलः18)

चींटी जानती थी कि वे नेक लोग हैं किसी सृष्टि को कष्ट पहुंचाना नहीं चाहते लेकिन वे धोखा से तुम्हें कुचल सकते हैं, इस लिए अपना बचाओ स्वयं कर लो।

यहाँ अल्लाह की शक्ति विदित हुई कि सुलैमान अलै. ने चींटी की बात सुन ली, समझ ली और उसकी बात पर प्रसन्न होकर मुस्कराते हुए कहा:

وَقَالَ رَبِّ أَوْزِعْنِي أَنْ أَشْكُرَ نِعْمَتَكَ الَّتِي أَنْعَمْتَ عَلَيَّ وَعَلَى وَالِدَيَّ وَأَنْ أَعْمَلَ صَالِحاً تَرْضَاهُ وَأَدْخِلْنِي بِرَحْمَتِكَ فِي عِبَادِكَ الصَّالِحِينَ  سورة النمل :19

“मेरे रब! मुझे संभाले रख कि मैं तेरी उस कृपा पर कृतज्ञता दिखाता रहूँ जो तूने मुझ पर और मेरे माँ-बाप पर की है। और यह कि अच्छा कर्म करूँ जो तुझे पसन्द आए और अपनी दयालुता से मुझे अपने अच्छे बन्दों में दाखिल कर।” (सूरः अन्नमलः19)

इस घटना में चींटी की वीरता विदित होती है, चींटी के लिए सम्भव था कि सुलैमान अलै. की सेना को देखते ही तुरंत अपने बिल में घुस जाती और स्वयं को बचा लेती, लेकिन उसने सारी चींटियों से पहले सेना को देखा था इस लिए उसे तुरंत अपनी सेना की चींता हुई।

सब से पढ़ कर इस घटना से चींटी का बोलना साबित होता है, क्या क़ुरआन के उतरने से पहले किसी को पता रहा होगा कि चींटी भी बात करती है और उसके पास भी भाषा है?

सर्वप्रथम  वैज्ञानिक Robert Hickling ने कीड़े की बोलियों पर खोज आरम्भ किया,  1994 से 2000 तक छ: वर्ष  लगे रहे, जब उन्हें कीड़ों की तुलना में सब से उत्तम आवाज़ चींटी की लगी तो वह चींटी की आवाज़ की खोज में लग गए, अंततः 1997 में उन्हों ने सिद्ध किया कि चींटी बोलती है। फिर 2006 में प्रत्येक वैज्ञानिक इस बात पर सहमत हो गए कि वास्तव में चींटी बात करती है जबकि उससे पहले कीड़ों की बोलियों को वैज्ञानिक मानने से इनकार करते थे। हालांकि अल्लाह ने आज से 1400 वर्ष पूर्व यह सिद्ध किया था कि चींटी बोलती है।    

 

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