यह दुनिया कार्य-स्थल है और आख़िरत परिणाम-स्थल, आख़िरत की यह कल्पना धर्म का आधार है, यही विचार मन से ओझल होने के बाद मनुष्य हैवानियत का शिकार हो जाता है, उसके अंदर दरिंदगी आ जाती है, वह दुनिया को अपना वांछित और उद्देश्य बना लेता है, आज हमारे मन मस्तिष्क में भौतिकता छाई हुई है, दुनिया के भोग विलास और खुशियों को सब कुछ समझ लिया गया है, इसलिए जरूरत है आख़िरत की याद दिहानी की, क्योंकि यही वह नुस्खा है जो इंसान को बेनकील ऊंटनी के समान होने से बचाता है ।
क़्यामत का आना निश्चित है, लेकिन कब आएगी? इसका ज्ञान अल्लाह रब्बुल आलमीन ने अपने पास रखा है, हाँ इनसान पर अल्लाह की कृपा हुई कि उसने अपने नबी के माध्यम से क़्यामत के आगमन की भूमिका को पूरे विस्तार से बयान कर दिया है, क़यामत के चिन्ह की पूरी जानकारी दे दी है, ताकि ग़फलत में पड़ा इनसान होश में आए, सोने वाला जाग जाए और आख़िरत की तैयारी शुरू कर दे।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अपनी उम्मत के मन-मस्तिष्क में आख़िरत की अवधारणा बैठाने के ऐसे इच्छुक थे कि मानो हर समय आख़िरत को अपने सामने देख रहे हैं, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने विभिन्न हदीसों में क़यामत के आगमन से पहले के लक्षण का उल्लेख किया मात्र इसलिए कि मनुष्य उस दिन की ख़तरनाकी को हर समय ध्यान में ताजा रखे और आख़िरत की तैयारी में लगा रहे। निम्न में हम क़्यामत की कुछ छोटी निशानियों का चर्चा कर रहे हैं:
1- फ़ितनों की अधिकता होगी:
क़यामत के आगमन से पहले मानवता अनगिनत फ़ितनों और भयंकर चरणों से गुज़रने वाली है जिनके जहरीले प्रभाव से हर समुदाय और देश प्रभावित होगा, ऐसे गंभीर हालात पैदा होंगे कि उन में अमानत दार को खाइन माना जाएगा और खाइन को अमानतदार, सच्चे को झूठा माना जाएगा और झूठे को सच्चा, अच्छी बातों को ख़राब समझ लिया जाएगा और बुरी बातों को अच्छा, अभद्रता तथा नैतिक अराजकता का दौर दौरा होगा।
हत्या और क़त्ल की बहुतायत होगी, पथभ्रष्ठता का बाजार इतना गर्म होगा कि आदमी सुबह के समय मुसलमान रहेगा, लेकिन शाम तक काफिर हो जाएगा, और शाम के समय मुसलमान होगा तो सुबह के समय काफिर हो जाएगा।
इसी लिए सही मुस्लिम की रिवायत है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं:
بادروا بالأعمالِ فتنًا كقطعِ الليلِ المظلمِ . يصبحُ الرجلُ مؤمنًا ويمسي كافرًا . أو يمسي مؤمنًا ويصبحُ كافرًا . يبيعُ دينَه بعرضٍ من الدنيا صحیح مسلم: 118
“अंधेरी रात के टुकड़ों के समान फ़ितनों के आने से पहले अमल कर गुज़रो, क्योंकि आदमी उनमें सुबह को मोमिन होगा और शाम को काफ़िर हो जाएगा, या शाम को मोमिन होगा और सुबह को काफ़िर हो जाएगा, अपने धर्म को दुनिया की थोड़ी सम्पत्ति के बदले बेच देगा।”
2- बुरे लक्षण का आम चलन हो जाएगा:
क़यामत की निशानियों में से यह भी है कि बुरी आदतों और बेहूदा लक्षण का आम चलन हो जाएगा, व्यभीचार, शराब का सेवन, जुवा खेलना और हराम कारी का आम रिवाज होगा, जगह जगह बदकारियों के अड्डे स्थापित हो जाएंगे।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं:
أن من أشراط الساعة أن يرفع العلم ، ويكثر الجهل ، ويكثر الزنا ، ويكثر شرب الخمر ، ويقل الرجال ، ويكثر النساء ، حتى يكون لخمسين امرأة القيم الواحد صحیح البخاری: 5231صحیح مسلم: 2671
“क़्यामत की निशानियों में से है कि ज्ञान उठाया लिया जाएगा और अज्ञानता का चलन होगा, व्यभीचार आम हो जाएगा, लोग शराब पीएंगे, महिलाओं की अधिकता होगी, और पुरुषों की संख्या कम होगी, यहां तक कि पचास महिलाओं का केवल एक ही निरक्षक होगा “। (सही बुखारी: 5231 सही मुस्लिम: 2671)
अल्लाहु अकबर! प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की भविष्य वाणियां बिल्कुल सही साबित हो रही हैं, आज अज्ञानता ने अपनी तनाबें लम्बी कर रखी हैं, हर जगह व्यभीचार के अड्डे स्थापित हो चुके हैं, और शराब के सेवन पर गर्व किया जा रहा है।
3- गुमराह और शरीयत से हटे हुए नायक पैदा होंगे:
क़यामत की एक निशानी यह भी है कि ऐसे गुमराह और शरीयत से हटे हुए नायक पैदा होंगे जो धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करेंगे, बिदआत और ख़ुराफात की दावत देंगे, और उनके दीन ईमान का सौदा होगा। इस लिए सुनन अबी दाऊद में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का इरशाद है:
إنما أخاف على أمتي ! الأئمة المضلين ، وإذا وضع السيف في أمتي لم يرفع عنها إلى يوم القيامة سنن أبي داود: 4252
“मुझे अपनी उम्मत के संबंध में भ्रामक इमामों से डर है, और जब मेरी उम्मत को नष्ट करने के लिए उनकी गर्दन पर तलवार रख दी जाएगी तो क़यामत तक उनकी गर्दन से तलवार हटाई नहीं जाएगी।” (सुनन अबी दाऊद: 4252)
यानी उन भ्रामक नायकों की वजह से लोग विभिन्न संप्रदायों में बंट जाएंगे और गृह युद्ध इतनी आम हो जाएगी कि उम्मति मुहम्मदिया एक दूसरे की गर्दन काटने में लग जाएगी और हत्या और खून का यह सिलसिला क़यामत तक चलता रहेगा।
क़ुरबान जाइए नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर जिनकी भविष्यवाणियां एक एक करके सही साबित हो रही हैं, क्या यह सच्चाई नहीं कि आज क़ुरआन और हदीस की दम भरने वाले मामूली मामूली बातों पर हत्या और खून का बाजार गर्म कर देते हैं जिसे देखकर दूसरी कौमें हम पर हंस रही हैं?
4- ब्याज का चलन आम होगा:
क़यामत की निशानियों में से ब्याज का ज़ाहिर होना और लोगों के बीच उसका फैल जाना भी है, अतः तबरानी ने हज़रत इब्ने मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से एक रिवायत नक़ल किया है कि रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
بينَ يَدَيِ الساعَةِ يَظْهَرُ الرِّبَا . الطبراني: 8/121
क़यामत के क़रीब क़रीब सूद का प्रचलन हो जाएगा। (तबरानी: 8/121)
इस हदीस की रोशनी में आज जब हम अपने समाज की समीक्षा करते हैं तो कलेजा मुंह को आता है, सूदी कारोबार के विभिन्न अड्डे स्थापित हो चुके हैं, विडंबना यह है कि आज हम जिसे दीनदार और शरीअत का पाबंद समझते हैं वह भी कुछ के अलावा इस बीमारी के शिकार नज़र आते हैं, कहीं जीवन बीमा का बाजार गर्म है तो कहीं बैंक का सूदी कारोबार अपने चरम पर है और आए दिन न जाने कितने सूदी मामले विभिन्न नामों से परवान चढ़ रहे हैं।
5- भूकम्पों की अधिकता होगी:
क़यामत की निशानियों में से भूकम्पों की अधिकता और आसमानी आपदायें भी हैं, सही बुखारी किताबुल फितन में हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से मनक़ूल है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
لا تقومُ الساعةُ حتى تكثُرَ الزلازلُ صحیح البخاری 7121
क़यामत न क़ाइम होगी यहाँ तक कि ज़लज़लों की अधिकता न हो जाए। (सही बुखारी: 7121)
इस संदर्भ में हाफ़िज़ इब्ने हजर रहिमहुल्लाह कहते हैं: विभिन्न उत्तरी पूर्वी तथा पश्चिमी देशों में कई भूकंप आ चुके हैं लेकिन ज़ाहिर यह होता है कि इस का अभिप्राय उनकी अधिकता, उमूमियम और हमेशगी है (फ़त्हुल बारी 83: 13)
और हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से मरवी है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
يكونُ في آخرِ هذه الأمة خسفٌ ، و مسخٌ ، و قذفٌ ، قيل : يا رسولَ اللهِ أنهلِكُ و فينا الصالحون ؟ قال : نعم ، إذا ظهَر الخَبَثُ صحیح الجامع: 8156
” इस उम्मत के अंतिम युग में तीन प्रकार की पीड़ायें अधिक आएंगी जमीन का धंसा देना, लोगों का चेहरा बिगड़ना, और पत्थरों की बारिश, मैं ने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! क्या हम लोग नष्ट कर दिए जाएंगे हालांकि हमारे बीच अच्छे लोग भी होंगे? आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: हाँ जब फिस्क़ और फुजूर ज़ाहिर हो जाएगा तो ऐसा जरूर होगा। ” (सहीहुल जामिअ: 8156)
यानी जब बुरे कामों का चलन होगा, सूदी कारोबोर का रिवाज होगा, यौन शोषण का दौर दौरा होगा, और बुराइयों की अधिकता होगी तो जमीन धंसा दी जाएगी, चेहरा बिगड़जाएगा और पत्थरों की बारिश होगा।
मौजूदा दौर में जो विनाशकारी आपदायें और भयानक भूकंप आए हैं उनके परिणाम हमारे सामने हैं जिन में लाखों जानें नष्ट हुईं, अरबों की संपत्ति बर्बाद हुई, और क्यों न हों जब कि यह प्रकृति की मांग है।
यह और इस तरह की अन्य आपदायें जहां एक ओर अल्लाह का अज़ाब हैं तो दूसरी ओर क़्यामत के लक्षण भी, जिनके द्वारा अल्लाह तआला अपने बन्दों को चेतावनी देता है, डराता है कि पापों से रुक जाओ, अपने मालिक से विद्रोह करना छोड़ दो, यह जान लो कि क़यामत क़रीब आ गई है और अल्लाह के सिवा कोई शरण की जगह नहीं।
6- अभद्रता आम होगी:
क़यामत की निशानियों में से एक यह भी है कि महिलाएं अपनी इज़्ज़त, हया और पाक दामनी की चादर उतार कर बेहयाई, बे परदगी, नग्नता और नंगेपन पर उतर आएंगी, अतः सही मुस्लिम में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं:
صنفانِ من أهلِ النارِ لم أرَهما . قومٌ معهم سياطٌ كأذنابِ البقرِ يضربون بها الناسَ . ونساءٌ كاسياتٌ عارياتٌ مميلاتٌ مائلاتٌ رؤوسُهنَّ كأسنِمَةِ البختِ المائلةِ . لا يدخلْنَ الجنةَ ولا يجدْنَ ريحَها . وإن ريحَها لتوجدُ من مسيرةِ كذا وكذا. صحیح مسلم:2128
“दो प्रकार के जहन्नम निवासी ऐसे हैं जिन्हें मैंने नहीं देखा है, एक तो वे लोग जिनके साथ गायों की दुमों के समान कूड़े होंगे जिनसे वे लोगों को मारेंगे, और दूसरी वे महिलाएं जो कपड़े पहनने के बावजूद नंगी होंगी, माइल करने वालिआं और माइल होने वालिआं होंगी, उनके सिर ख़ुरासानी ऊंट के कोहान की तरह एक तरफ झुके होंगे, वह जन्नत में प्रवेश नहीं करेंगी और न ही उसकी खुशबू पाएंगी हालांकि उसकी खुशबू पांच सौ साल की दूरी तक पाई जाती है “।
यह हदीस ऐसी बातों के बारे में खबर दे रही है जो बातें मौजूदा समय में हमारी आंखों के सामने हैं, आज नंगापन और अभद्रता इतना प्रचलित है कि कुछ महिलाएं तो शरीर के कुछ हिस्सों को नाममात्र छुपाती हैं, और कुछ पूरे बदन में लिबास पहनती भी हैं तो वह इतना चुस्त और बारिक होता है कि उसके सारे शारीरिक ढ़ांचे दिख रहे होते हैं, जैसे कि नंगे हैं। दुर्भाग्य की बात यह है कि माडर्न् बनने के जुनून में आज मुस्लिम महिलाएं भी नग्नता और बेपरदगी पर आमादा हो चुकी हैं, हालांकि यही कल तक सादगी का नमूना और इस्मत और इफ्फ़त की चादर बनी बैठी थीं।
यही बेबाक किशोरी जो अब इठला के चलती है
बहुत मासूम थी कल तक बहुत नादान थी कल तक
न होठों पर लपेस्टिक थी न रुख़सारों पे गाज़ा था
भला क्या ज़िंदगी थी उसका हर अंदाज़ सादा था
प्रिय पाठक! हमने नमूना के तौर पर क़यामत की कुछ छोटी निशानियों की चर्चा की है, जिन में आज अक्सर आ चुकी हैं, अब इंतजार है बड़ी निशानियों का जिनके आगमन के बाद क़यामत निश्चित है, इसलिए हमें चाहिए कि होश में आयें और महाप्रलय के दिन की तैयारी शुरू कर दें। अल्लाह सर्वशक्तिमान हम सबकी रक्षा करे, आमीन।
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