अल्लाह कि जिसके सिवा कोई पूज्य-प्रभु नहीं, वह जीवन्त-सत्ता है, सबको सँभालने और क़ायम रखनेवाला है। उसे न ऊँघ लगती है और न निद्रा। उसी का है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कौन है जो उसके यहाँ उसकी अनुमति के बिना सिफ़ारिश कर सके? वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है। और वे उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, सिवाय उसके जो उसने चाहा। उसकी कुर्सी आकाशों और धरती को व्याप्त है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं और वह उच्च, महान है। (सूरः बक़राः 255)
1-अल्लाह हमेशा से है और हमेशा रहेगा, उसका न आरम्भ है न अन्त। और हमारा पूरा भरोसा उसी पर हो सकता है जिसे कभी मृत्यु नहीं आती और यह महिमा मात्र अल्लाह की है।
2- वह किसी का मुहताज नहीं और सब उसके मुहताज हैं। सारी सृष्टी एक सिकंड के लिए भी उस से बेनियाज़ नहीं हो सकती, सारी सृष्टि के आज्ञा पालन से उसको कोई लाभ नहीं हो सकता और न उनकी अवज्ञा से उसको कोई हानि पहुंच सकती है।
3- उसे न कभी ऊंघ आती है न नींद, उसे रात के किसी भी भाग में पुकारो और जहां से पुकारो वह तुरन्त सुनेगा, जिसे ऊंघ अथवा नींद आती हो विदित है कि वह ऊंघ अथवा नींद की स्थिति में सुनने से वंचित रहेगा और अल्लाह की महिमा हर प्रकार के दोष से पवित्र है।
4- धरती और आकाश में जितनी सृष्टियां हैं चाहे वह सजीव हों या निर्जीव सबहों को उसी ने बनाया है, प्रत्येक की गिनती कर रखा है और उन सब का वास्तविक मालिक और स्वामी है।
5- उसकी महानता है कि उसके सामने उसकी अनुमति के बिना कोई सिफारिश करने का साहस नहीं कर सकता, और अनुमति के बाद भी सिफारिश ऐसे ही लोगों के सम्बन्ध में कर सकते हैं जिनके कर्तव्य से अल्लाह खुश हो।
6- अल्लाह की महिमा ऐसी है कि जो कुछ हुआ, जो कुछ होने वाला है और जो कुछ हो रहा है उन सब का ज्ञान रखता है, सारी सृष्टि की एक एक हरकत से अवगत है, जंगल में गिरने वाले पत्ते, अंधेरी रात में काले पत्थर पर चलने वाली चींटी और समुद्र की मछलियों को भी जानता है। वह निगाहों की चोरी तक को जानता है और उसे भी जो सीने छिपा रहे होते हैं।
7- अल्लाह का ज्ञान इतना विशाल है कि इनसान उसके ज्ञान में से किसी चीज़ पर हावी नहीं हो सकते, और इनसानों को इतना ही ज्ञान प्राप्त हो सकता है जितना वह उन्हें प्रदान कर दे, आज उसी के प्रदान किय हुए ज्ञान के फलस्वरूप विभिन्न वैज्ञानिक अविष्कार सामने आ रहे हैं।
8- आज हमें धरती और आकाश की विशालता पर आश्चर्य होता है जब कि अल्लाह की महानता देखें कि उसकी कुर्सी आकाशों और धरती को व्याप्त है, एक एक चीज़ को उसने अपने घेरे में ले रखा है।
9- आकाश और धरती की विशालता के बावजूद वह उन सब को थामे हुए है और उनकी सुरक्षा उसके लिए तनिक भी भारी नहीं। जो अल्लाह आकाश और उसकी प्रत्येक चीज़ों तथा धरती और उसकी प्रत्येक चीज़ों की सुरक्षा कर रहा हो और उनकी सुरक्षा में उसे तनिक भी थकावट न होती हो, वह कितना महान होगा, इसका भली भांति अनुमान लगाया जा सकता है।
10- वह अल्लाह सब से उच्च और ग़ालिब है, और सब से महान है, हर चीज़ से ऊपर और हर चीज़ से बुलंद है, उससे उच्च कोई चीज़ नहीं और न उससे महान कोई चीज़ है। जब सारी सृष्टि उसके अधीन है और वह सब से उच्च और सब से महान है तो पूजा भी तो मात्र उसी की होनी चाहिए।
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